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Showing posts from November, 2021

मन उलझा है

मन उलझा है  अजीब सी उलझनों में  और तुम भी तो नहीं हो  कि सिर टिका दूँ,  तुम्हारे काँधे पर,  और कस के पकड़ के तुम्हारा हाथ,  बंद कर लूँ अपनी आँखें  इस विश्वास के साथ  कि तुम हो ना  और तुम रहोगी यूँ ही हमेशा मेरे साथ…