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Showing posts from December, 2019

आगे बढ़ें?

सुनो। नया साल आ रहा है। और साथ लेकर आएगा कुछ नई उम्मीदें, कुछ नई इकच्छाएँ। शायद तुम मुझे भूल जाओ, शायद मैं भी तुम्हे भूल जाऊं। लेकिन अगर तुम ये पढ़ रही जो, तो जान लो - मैं जानता हूँ तुम भी कहीं ना कहीं चाहती थीं की हम साथ हों। लेकिन वो हो ना सका। कारण जो भी जो, किसे सरोकार। इस बीतते साल के साथ उन सारी इकच्छाओं, चाहतों को समाप्त ही कर दिया जाए तो बेहतर है। तुम मजबूत हो, आगे बढ़ गयीं। या बढ़ ही जाओगी। मेरी भी कोशिश रहेगी। लेकिन ये बताओ - अगर जीवन में फिर मिले तो क्या खुश होकर मिलेंगे कि हम एक समय एक दूसरे का सादर सम्मान करते थे?