Skip to main content

THE BIG THINGS AND THE LITTLE ONES - Shlagha Borah

you don't always fall in love in September
and find a lover to hold your hand
through the winter,
there are no flowers to wake up to,
no hot chocolate at midnight.
you might also feel like your life is slowing down.
a year has passed, and you're almost
in the same place from where you started.
but there will be the little things,
mostly insignificant,
like a free buffet,
a whole afternoon of poetry,
new music,
drunk friends telling you how much they love you,
and laughter.
there will not be breakthroughs,
you'll still look for inspiration everywhere,
cry yourself to sleep
and hate how your hair looks on weekends.
but it'll matter lesser, and lesser,
because there will be some unplanned trips,
some academic brilliance,
reading Harry Potter for the first time
and drinking a new flavour of herbal tea.
you see, this world
really doesn't care much
about how well you're putting up this fight,
but someday, someone you've never met
will tell you
you've saved their life,
and i swear,

Popular posts from this blog

परिभाषा वाला प्रेम।

संभवतया मैं तुम्हारे जीवन में आने वाला प्रथम और आखिरी व्यक्ति होउगां जिससे किसी भी विषय पर कितने की बकैती करा लो.. पर बोल नही पाता हूं जब सामने आती हो तुम.. पर मैं नहीं सोचता कि किसी दीवार के सहारे बैठकर हम गाये प्रेम के गीत ..नहीं चाहिये मुझे तुम्हारे अधरों पर मेरे अधरों का प्रतिबिंब ...मुझे नहीं पंसद देह का गणित.. बस मेरी कल्पना ये है, कि किसी घाट या हिमालय की तराई में बैठ कर के हम दोनों चर्चा करें देश की..समाज की..धर्म की.. बाटें अपना मूल..मै अपनी कहूं.. और फिर टकटकी लगाए किसी बच्चे की मानिंद बस सुनता रहूं कि 'कैसे होतें है 'वामपंथी'...  और हां मैं हमेशा तुमसे ऐसी ही बात करता रहूंगा.. खुद तुच्छ हो सकता हूं...हो सकता है मुझे न आता हो कहना..मुझे तुम्हारी खुली जुल्फें सवारनी न आती हों पर जब मैं आखिरी सांस के बाद तुम्हे जब ईश्वर के सुपुर्द करूं तब वही पवित्रता बनी रहे जैसे तुम्हे मुझे सौंपते वक्त थी... तुमसे बस इत्तू सा इश्क है 'जाना' जानती हो क्यों? सुनना चाहोगी? क्योंकि प्रेम की पवित्रता प्रेम को पवित्र रखने में ही है.. 😊

आगे बढ़ें?

सुनो। नया साल आ रहा है। और साथ लेकर आएगा कुछ नई उम्मीदें, कुछ नई इकच्छाएँ। शायद तुम मुझे भूल जाओ, शायद मैं भी तुम्हे भूल जाऊं। लेकिन अगर तुम ये पढ़ रही जो, तो जान लो - मैं जानता हूँ तुम भी कहीं ना कहीं चाहती थीं की हम साथ हों। लेकिन वो हो ना सका। कारण जो भी जो, किसे सरोकार। इस बीतते साल के साथ उन सारी इकच्छाओं, चाहतों को समाप्त ही कर दिया जाए तो बेहतर है। तुम मजबूत हो, आगे बढ़ गयीं। या बढ़ ही जाओगी। मेरी भी कोशिश रहेगी। लेकिन ये बताओ - अगर जीवन में फिर मिले तो क्या खुश होकर मिलेंगे कि हम एक समय एक दूसरे का सादर सम्मान करते थे? 
इसीलिए मैं तेरे बिछड़ने पे सुगुवार नही, सुकून पहली जरूरत है, तेरा प्यार नहीं जवाब ढूंढने में उम्र मत गवां देना, सवाल करती है दुनिया, ऐतबार नहीं मेरे भरोसे पे कश्ती बनाना मत छोड़ो, नदी में जाना है मुझको, नदी के पार नहीं।