अच्छा पण्डिताइन सुनो न -
कभी कभी सोचता हूँ आने वाले कुछ समय में तुम्हारी शादी हो गयी तो सब कैसे पलट जाएगा। पता नहीं तुम्हारा हसबैंड मेरे जित्ता जिम्मेदार-समझदार होगा भी या फिर एवेंई। मुझे तुम्हारे हबी से जलन होना लाजमी है पर तरस भी आता है बेचारे पे। कैसे तुमको झेलेगा यार?
मेरे होते हुए तुम्हें कैसे कोई और झेल सकता है? कैसे तुम उससे मेरे जितना इश्क कर सकती हो?
तुम्हारे बिना ज़िन्दगी एकदम उमस वाली लगती है। जैसे हवा चलनी बंद हो गयी हो और गीली मिट्टी भी गर्मी पैदा कर रही हो। पसीने ऐसे टपक रहे हों जैसे तुमको रिक्शे पे बिठा के हम रिक्शा खींच रहे हों।
हम दोनों दोस्त कभी नहीं बन पाए पर तुम्हारे साथ इत्ती रोक टोक में जीना भी तो ज़िन्दगी नहीं। हाँ मानते हैं कि तुम अनीता भाभी से भी गोरी हो पर हम भी हप्पू सिंह की तरह जियरा छिड़कते हैं तुमपे।
हमें पता है तुम बदलोगी नहीं। दुख भी इसी बात का है। तुमसे मुहब्बत करने का दुख, तुम्हारी मोहब्बत होने का दुख। सुनो ये मिलना विलना चलता रहेगा, जनम वनम वाली थियोरी भी रास नहीं आती। पर तुम्हारा होना खूबसूरत है। मेरा गुजरा कल खूबसूरत है। वो सड़के, वो गालियां, वो दुकानें खूबसूरत हैं जिनके इर्द गिर्द हमने कुछ समय ही सही, पर दुनिया नापी है।
तुम्हारे होने के लिए शुक्रिया, मेरे लिए पैदा होने के लिये शुक्रिया, मुझे अपनी आंखों से ख्वाब दिखाने के लिए शुक्रिया, मेरा ख्वाब बन जाने के लिये शुक्रिया, अपना ख्वाब बनाने के लिए शुक्रिया। दोस्ती और मोहब्बत के बीच के वक़्त को नशा बनाने के लिए शुक्रिया।
तुम्हारे जैसे लोग दुनिया मे बहुत कम है। कम नहीं हैं, साला हैं ही नहीं। तुम एकलौती पीस हो। दीवाली की फुलझड़ी हो, तुम मेरे दिल का पेसमेकर हो।
सुनो, तुमको मोहब्बत मुबारक। मेरी नही तो क्या, तुम्हारे हबी की ही सही। लेकिन ये बात जान लो: जब भी बढ़िया मौसम में एक कड़क चाय और एक उम्दा किताब लेके बैठेंगे ना, तुमको पक्का याद करेंगे। सही या गलत ये तो पता नही, लेकिन कुछ बातों को बस बिना जज किये ऐसे ही एक्सेप्ट कर लेना चाहिए।
बस इसी बात पर "तू किसी रेल सी गुजरती है, मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ।"