अच्छा पण्डिताइन सुनो न - कभी कभी सोचता हूँ आने वाले कुछ समय में तुम्हारी शादी हो गयी तो सब कैसे पलट जाएगा। पता नहीं तुम्हारा हसबैंड मेरे जित्ता जिम्मेदार-समझदार होगा भी या फिर एवेंई। मुझे तुम्हारे हबी से जलन होना लाजमी है पर तरस भी आता है बेचारे पे। कैसे तुमको झेलेगा यार? मेरे होते हुए तुम्हें कैसे कोई और झेल सकता है? कैसे तुम उससे मेरे जितना इश्क कर सकती हो? तुम्हारे बिना ज़िन्दगी एकदम उमस वाली लगती है। जैसे हवा चलनी बंद हो गयी हो और गीली मिट्टी भी गर्मी पैदा कर रही हो। पसीने ऐसे टपक रहे हों जैसे तुमको रिक्शे पे बिठा के हम रिक्शा खींच रहे हों। हम दोनों दोस्त कभी नहीं बन पाए पर तुम्हारे साथ इत्ती रोक टोक में जीना भी तो ज़िन्दगी नहीं। हाँ मानते हैं कि तुम अनीता भाभी से भी गोरी हो पर हम भी हप्पू सिंह की तरह जियरा छिड़कते हैं तुमपे। हमें पता है तुम बदलोगी नहीं। दुख भी इसी बात का है। तुमसे मुहब्बत करने का दुख, तुम्हारी मोहब्बत होने का दुख। सुनो ये मिलना विलना चलता रहेगा, जनम वनम वाली थियोरी भी रास नहीं आती। पर तुम्हारा होना खूबसूरत है। मेरा गुजरा ...
Because every bright silver lining has an associated dark cloud