वो बारिश का मौसम वो मेरी बनायीं चाय और वो तुम्हारे बनाये आलू के पकोड़े। वो सब याद है। subah आज भी कुछ वैसी ही है। चाय भी। कच्ची और फीकी। पकोड़े नहीं है मगर। कुछ आलू जरूर है जो घूर रहे हैं शायद समझते भी हैं की उन्हें काटने का कलेजा मुझमे नहीं। तुम circle थीं और मैं tangent.. हम ज़िन्दगी में बस एक बार ही मिल सकते थे।
Because every bright silver lining has an associated dark cloud