कलम लेके बैठा हूँ,
स्याही घिसने का मन है।
कुछ तुम्हारी तारीफ,
कुछ अपनी शिकायतें,
या यूं ही कुछ बेमतलब सा
लिखने का मन है।
पर नाम नही लिखूंगा तुम्हारा,
पन्नों को ख़बर हो जाएगी।
पन्ने तुम्हारा नाम जान जायेंगे,
पन्ने मेरा नाम जान जायेंगे,
और फिर हवाओं के संग
पन्ने उड़ते हुए, पलटते हुए,
एक बार तुम्हारा नाम,
एक बार मेरा नाम दिखाते फिरेंगे।