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Showing posts from May, 2017

उसे अच्छा नहीं लगता...

ये खत है उस गुलदान के नाम, जिसका फूल कभी हमारा था. वो जो अब तुम उसके मुख्तार हो तो सुन लो... उसे अच्छा नहीं लगता... मेरी जान के हकदार हो तो सुन लो.. उसे अच्छा नहीं लगता.. कि वो जो कभी ज़ुल्फ बिखेड़े तो बिखड़ी ना समझना.. अगर जो माथे पे आ जाए तो बेफिक्री ना समझना... दरअसल उसे ऐसे ही पसंद है... उसकी खुली ज़ुलफो मे उसकी आज़ादी बंद है... खुदा के वास्ते... जानते हो वो जो हज़ार बार ज़ुलफे ना संवारें तो उसका गुज़ारा नहीं होता... वैसे दिल बहुत साफ है उसका..... इसका कोई इशारा नहीं होता... खुदा के वास्ते... उसे कभी टोक ना देना... उसकी आज़ादी से उसे रोक ना देना क्यूकी अब मै नही तुम उसके दिलदार हो तो सुन लो... उसे अच्छा नहीं लगता.....!! - ज़ाकिर खान 

वो मजदूर थोड़े है

मुहल्ले का वो लड़का , जो पढ़ने में सबसे तेज़ था, ग्यारहवीं क्लास में आते आते , चश्मा पहनने लगा था , इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए , दिन रात एक करता था , coaching वाली लड़की जो , Irodov और H C verma की किताब में , friction वाले सवाल की तरह अटक गयी थी , उस लड़की को दूर भगाता था , बस एक बार इंजीनियर बन जाये , तो लड़की के घर जाकर , हीरो माफ़िक हाथ मांग लेगा उसका , अच्छे कॉलेज से इंजीनियरिंग का कुल इतना ही मतलब समझता था , लड़का इंजीनियर बन गया , सुना है बड़ी कंपनी में नौकरी भी करता है , कंपनी में और भी ना जाने कितने मुहल्लों के, पढ़ने में सबसे तेज़ लड़के हैं , कंपनी जैसे हजारों मुहल्ले निगल जाती हो , लड़के के मुहल्ले के कई लड़के , उसके जैसा होना चाहते हैं , चश्में का नंबर बढ़ गया है , अच्छे मेहंगे चश्में से भी वो , coaching वाली लड़की साफ नहीं दिखती , वो ऐसे ही किसी दूसरे मुहल्ले के , पढ़ने में सबसे तेज़ लड़के की बीवी है , लड़का जिंदगी से हरा नहीं है , उदास भी नहीं है , घूमता-फिरता है , कार्ड swipe करता है , जैसे टाइम से सुबह स्कूल जाता था , वैस...