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Showing posts from December, 2016

फूल भी काफी हैं दर्द जगाने को

यू तो फूल भी काफी हैं दर्द जगाने को, जख्मी हो मेरा दिल खार से ही, ये ज़रूरी तो नहीं ! ऐसा नहीं की गम मुझे होता नहीं, मुफलिसी में रोता रहूँ, ये भी ज़रूरी तो नहीं ! करने लगूंगा फिर से तुम्हारा ऐतबार दोस्तों ज़ख्म ताज़े हैं अभी, भरोसा अभी होता तो नहीं ! मंजिल तू इंतज़ार कर कि मैं आऊंगा ज़रूर मैं बस हारा हूँ रास्तों से... मगर लौटा तो नहीं ! मैं बस हारा हूँ रास्तों से... मगर लौटा तो नहीं !