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Showing posts from October, 2015

वो बदल गए।

वो साथ चलते थे, समझदार थे,  वो काफी अच्छे थे, वफादार थे,  उगना तो वो सूरज सा चाहते थे,  दिन होते ही, तारों सा ढल गये,  वो बदल गए।  बेचारे नहीं थे, बेहद खास थे,  दूर नहीं थे, बहुत पास थे,  दोस्ती वो हक़ से निभाना चाहते थे,  फिर एक दिन जो दोस्तों के घर गए,  वो बदल गए।  इंसान थे, समझ थोड़े ही आते थे,  कुत्तों की तरह काट थोड़े ही खाते थे,  व्यवहार कुशल थे, बहती हवा से थे,  फ़टे हुए नोट थे, धोखे से चल गये,  वो बदल गए।  लहरों की तरह मुझसे टकराकर, पागल कर दिया उन्होंने मुस्कुराकर, जान चली जाए, उनको देख लूँ तो,  वो ज़माने और थे, वो जो अब गुज़र गये,  वो बदल गए।