कितना वक़्त खोया मैंने , खोने को और पाने को , काश की ये वक़्त मिल जाता , फिर से मुझे बिताने को ... फ़रियाद किया ,याद किया , कितना वक़्त बर्बाद किया , हँसा -रोया -गाया , पर आवाज़ नहीं पहुंची मेरी , जाता रहा मूरत के आगे घंटी मगर बजाने को .. जज्बातों की तपिश में चमका करता था , एक हलकी सी बारिश में सब कुछ बह गया , किसने कहा था मुझे , रेत का घर बनाने को .. कभी रिश्तों का नाम दिया था जिनको मैंने , आज सब किश्तों में अदा करता जाता हूँ मैं , मेरे बदले कौन आएगा मेरा क़र्ज़ चुकाने को .. एक अभिनेता...
Because every bright silver lining has an associated dark cloud