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Showing posts from June, 2011

वक़्त का दरिया

कितना वक़्त  खोया  मैंने , खोने  को  और  पाने  को , काश  की  ये  वक़्त  मिल  जाता , फिर  से  मुझे  बिताने  को  ... फ़रियाद  किया ,याद  किया , कितना  वक़्त  बर्बाद  किया , हँसा -रोया -गाया , पर  आवाज़  नहीं  पहुंची  मेरी , जाता  रहा  मूरत  के  आगे  घंटी  मगर  बजाने  को .. जज्बातों  की  तपिश  में  चमका  करता  था , एक  हलकी  सी  बारिश  में  सब  कुछ  बह  गया , किसने कहा  था  मुझे , रेत  का  घर  बनाने  को .. कभी  रिश्तों  का  नाम  दिया  था  जिनको  मैंने , आज  सब  किश्तों  में  अदा  करता  जाता  हूँ  मैं , मेरे  बदले  कौन आएगा  मेरा  क़र्ज़  चुकाने  को .. एक  अभिनेता...